दिन की बधाई !! दिवस 22
प्रिय पवित्र आत्माओं
प्राणमय कोष पर काम करने के लिए हमें सभी प्रकार के वायु (पवन) और इसके ऊर्जा मार्गों को समझना होगा।
5 प्रमुख वायु (पवन) हैं जिन्हें महा प्राण और 5 उप वायु को लघु प्राण कहा जाता है।
आइए विस्तार से समझते हैं।
प्राण वायु :
यह छाती और सिर में रहती है।
इसका कार्य ग्रहण करना, प्रेरणा व प्रणोदन करना, आगे बढ़ने की गति को नियंत्रित करना है।
अपान वायु :
यह पेल्विस में रहती है।
इसका कार्य अलग करना, नीचे की और धकेलना और शरीर से चीजों को बाहर करना और उसकी गति को नियंत्रित करना है।
समान वायु :
यह नाभि में रहती है।
इसका कार्य आत्मसात, विवेक, आंतरिक अवशोषण, और शरीर को समान रूप से नियंत्रित करना है।
उदान वायु :
यह गले में रहती है।
इसका कार्य विकास, वाणी, अभिव्यक्ति, चीजों को शरीर में ऊपर की ओर ले जाना, उर्ध्व गति को नियंत्रित करना है।
व्यान वायु :
यह हमारे पूरे शरीर में रहती है।
इसका कार्य सभी स्तरों पर परिसंचरण, विस्तार, व्यापकता एकाग्रता को नियंत्रित करना है।
अब 5 उप प्राण इस प्रकार हैं:
1. क्रकल वायु :
यह पेट में रहती है।
इसका कार्य पाचन है।
2. कूर्म वायु :
यह आँखों में रहती है।
इसका कार्य नेत्र क्रिया को संचालित करना है।
3. नाग वायु :
यह गले में रहती है।
इसका कार्य डकार लेना है।
4. देवदत्त वायु :
यह सीने में रहती है।
इसका कार्य जम्हाई लेना है।
5. धनंजय वायु :
यह हमारे पूरे शरीर में रहती है।
इसका कार्य हमारे शरीर की शोभा बनाए रखना है और मृत्यु के बाद यह शरीर के अपघटन के लिए भी जिम्मेदार है।
आज के लिए यह पूर्ण हो गया है !!
Greetings of the day !! Day 22
Dear pious souls
To work on Pranamaya Kosha we have to understand all types of Vayu (Wind) and its energy channels.
There are 5 major vayus (winds) called maha prana and 5 sub-vayus called laghu prana.
Let us understand in detail.
Prana Vayu :
It resides in the chest and head.
Its function is to receive, inspire and propel, control the speed of moving forward.
Apaan Vayu :
It resides in the pelvis.
Its function is to separate, push down and out of the body and control its movement.
Samaan Vayu :
It resides in the navel.
Its function is assimilation, discernment, internal absorption, and controlling the body equally.
Udaan Vayu :
It stays in the throat.
Its function is to control development, speech, expression, moving things upwards in the body, upward movement.
Vyan Vayu :
It lives in our whole body.
Its function is to control circulation, expansion, prevalence concentration at all levels.
Now the 5 Laghu Pranas are as follows:
1. Krakal Vayu :
It lives in the stomach.
Its function is digestion.
2. Kurma Vayu :
It lives in the eyes.
Its function is to operate the eye function.
3. Nag Vayu :
It stays in the throat.
Its function is to belch.
4. Devadatta Vayu :
It resides in the chest.
Its function is to yawn.
5. Dhananjay Vayu :
It lives in our whole body.
Its function is to maintain the beauty of our body and it is also responsible for the decomposition of the body after death.
That’s it for today!! 🙏🏻