Today, due to the immense power of social media, where we all have come together and many cultures got a chance to know and understand each other, some people have misused it and developed strange methods by mixing many spiritual methods.
And the innocent people of our society started following them by easily trusting them.
Everyone is trying to become spiritual but has not reached anywhere.
We talk about God, or the Supreme Being, the cosmic energy, but we do not have the slightest idea of it, it is only in our imagination.
Some Siddha men have introduced some people to this energy, but due to lack of physical capacity of those people, they also got many diseases.
To get rid of all these, we have found Panch Kosh Prakshalan method by studying many methods and with the help of many Yogacharyas and Sanatan experts.
under which we do work on 5 Kosh of the body
1 Annamaya Kosh
2 pranamaya kosha
3 Manomaya Kosh
4 Vigyanmay Kosh
5 Anandamaya Kosh
We cleanse and balance above kosh.
It is our tradition to do this method following Sankhya Yoga, which does not include any idol worship, mantra, etc.
The specialty of this method is that it can be done by any religious person, whether he believes in any religion or even if he is an atheist.
10 days completely free training in our ashram, even the stay and food is also free.
आज सोशल मीडिया की प्रचंड ताकत की वजह से जहां हम सब एक हुए है और अनेकों संस्कृतियों को एक दूसरे को जानने समझने का मौका मिला वही कुछ लोगों ने इसका दुरुपयोग करते हुए अनेकों आध्यात्मिक विधियों को सम्मिश्रित करके अजीब अजीब सी पद्धतियां विकसित कर दी
और हमारे समाज के भोले भाले मनुष्य इन पर सहज विश्वास करके इनका पालन करने लगे
प्रत्येक व्यक्ति आध्यात्मिक बनने के प्रयास में तो है किंतु पहुंचा कहीं तक नही
हम ईश्वर, या परम सत्ता , ब्रह्मांडीय उर्जा की बात तो करते है किंतु उसका जरा सा भी आभास हमे नही है वो बस हमारी कल्पना में ही है
कुछ सिद्ध पुरुषो ने कुछ व्यक्तियों को इस ऊर्जा से परिचय तो करवा दिया लेकिन उन व्यक्तियों की शारीरिक क्षमता कम होने के कारण उनको अनेकों रोग भी हो गए
इन सब के निवारण के लिए हमने अनेकों पद्धतियों का अध्ययन करके और अनेकों योगाचार्यों और सनातन विशेषज्ञों के सहयोग से पंच कोश प्रक्षालन विधि ढूंढी है
जिसके अंतर्गत हम शरीर के पांच कोषों
1 अन्नमय कोष
2 प्राणमय कोष
3 मनोमय कोष
4 विज्ञानमय कोष
5 आनंदमय कोष
को स्वच्छ और संतुलित करने का कार्य करते है
यह पद्धति सांख्य योग का पालन करते हुए करने की हमारी परंपरा है जिसमे किसी भी मूर्ति पूजा , मंत्र, आदि का समावेश नही होता
इस पद्धति की विशेषता ये है कि इसको कोई भी धर्माबलंबी कर सकता है चाहे वो किसी भी धर्म को मानता हो या चाहे वो नास्तिक ही क्यों न हो
हमारे आश्रम में 10 दिन का पूर्णतः निशुल्क प्रशिक्षण है, यह तक कि रहना और खाना भी मुफ्त है