कुछ शब्दों को पहले ध्यान से समझें
- मानवीय गुण
- धार्मिक गुण
- आध्यात्मिक गुण
हम में से अधिकांश लोग खुद को धार्मिक या आध्यात्मिक व्यक्ती मानते हैं
मानव तो हम है ही….
ऐसा सोच कर उसको ज्यादा ध्यान ही नहीं देते !
और यही तथाकथित धार्मिक /आध्यात्मिक व्यक्ती अपने पारिवारिक और सामाजिक जीवन मे भरपूर परेशानियों का सामना कर रहे होते है
उनको मानवीय संबंधों को संभालना नहीं आता, अपने समाज मे हम किस तरह से वर्ताव करें इसका जरा सा भी अता-पता नहीं होता
हार कर ये किस्मत को या सामने वाले व्यक्ती को दोष देकर खुद को श्रेष्ठ मान लेते हैं
या कुछ लोग सोचते है कि जब धर्म के मार्ग पर चलते है तो इस तरह के कष्ट होते ही होते है
और यहां फिर वो खुद को धार्मिक मान कर अंदर ही अंदर एक सुख की अनुभूति करना चाहते है
तो मेरे प्यारे मित्र ..
ये दोनों ही भ्रम की स्थितियां है आप धार्मिक / आध्यात्मिक होने से पहले मानव है
तो सबसे पहले मानव होना सीखिए !!
मानव के क्या गुण है ?
एक मानव दूसरे मानव के साथ कैसे रहें कि दोनों को एक दूसरे से कोई कष्ट ना हो
ये बताने समझाने के लिए कोई proper स्कूल नहीं है बस अपने विवेक से ही हमे ये समझना होता है इसलिए गलती की पूरी संभावना रहती है
तो आप सभी मंथन करे और खुद सोचे की हम ऐसा क्या करे कि पहले मानव के रूप मे ठीक से प्रतिस्थापित हो
एक गुण मैं आपको बता देता हूं बाकी आप ढूंढो
वो गुण है खुद जियो औरों को भी जीने दो
अपने आसपास के लोगों के जीवन मे कम से कम हस्तक्षेप करें
उनके पास भी विवेक है , बुद्धि है , vision है
उनकी अपनी जीवन यात्रा है
उसको परिवर्तित करने वाले आप कौन होते हो ?
जी हम माँ/बाप है अगर हम नहीं सोचेंगे तो भला कौन सोचेगा ??
आप बिल्कुल ठीक हो !!
लेकिन भला सोचना और अपनी इच्छायें थोपना , अपने सपने उससे पूरे करवाना ये मानवीयता नहीं है
पशु पक्षी भी अपने बच्चों को बड़ा करने के बाद मुक्त कर देते है उनको उनका जीवन जीने देते है
तो इस आधार पर तो हम पशु से भी नीचे है 😁
मेरी बातों को अन्यथा ना लें 🙏🏻
बात मानवीय मूल्यों की हो रही है जो बिल्कुल खो चुके है
हज़ारों घटनाएं आपने सुनी होंगी कि दुर्घटना मे व्यक्ती सहायता के लिए पुकार रहा है और पचासों लोग उसका वीडियो बना रहे है उसकी सहायता कोई नहीं कर रहा
क्या ये मानवीयता है
वही वीडियो बनाने वाले लोग मंदिर भी जाते दिखेंगे और ध्यान करते हुए भी मिलेंगे वे वास्तव में ढोंगी हैं
तो हम पहले मानवीयता के मानदंड पर खरे उतरे
उसके बाद धार्मिक
फिर उसके बाद आध्यात्मिक बनें
अस्तु….
आज इतना ही , शेष कल
~~~ प्रभात पांडेय